‘योग’ केवल आसन नहीं, जीवन पद्धति है | ‘Yoga’ is not just a posture, it is a way of life

 

‘योग’ केवल आसन नहीं, जीवन पद्धति है
‘Yoga’ is not just a posture, it is a way of life

आज के तेज़ रफ्तार, तनावपूर्ण और प्रतिस्पर्धात्मक जीवन में जब मन अशांत, शरीर थका हुआ और आत्मा भटकी हुई महसूस होती है—तब योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित करने की संपूर्ण पद्धति बनकर सामने आता है। दुर्भाग्यवश, आधुनिक समय में योग को सिर्फ आसनों तक सीमित कर दिया गया है, जबकि भारतीय दर्शन में योग एक समग्र जीवन-दर्शन है।


योग का वास्तविक अर्थ क्या है?

‘योग’ शब्द संस्कृत की युज् धातु से बना है, जिसका अर्थ है—
जोड़ना, एकत्व स्थापित करना।

योग का मूल उद्देश्य है—

शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करना।

योग हमें बाहरी दुनिया की अव्यवस्था से निकालकर आंतरिक शांति की ओर ले जाता है।


पतंजलि का अष्टांग योग – जीवन का मार्गदर्शन

महर्षि पतंजलि ने योग को आठ अंगों में विभाजित किया है, जिन्हें अष्टांग योग कहा जाता है:

1. यम – सामाजिक आचरण

  • अहिंसा

  • सत्य

  • अस्तेय

  • ब्रह्मचर्य

  • अपरिग्रह

👉 यह हमें समाज में नैतिक और संतुलित जीवन जीना सिखाते हैं।


2. नियम – व्यक्तिगत अनुशासन

  • शौच

  • संतोष

  • तप

  • स्वाध्याय

  • ईश्वर प्रणिधान

👉 आत्मशुद्धि और आत्मविकास का आधार।


3. आसन – शरीर की स्थिरता

आसन शरीर को स्वस्थ, लचीला और ध्यान योग्य बनाते हैं।

आसन योग का साधन हैं, लक्ष्य नहीं।


4. प्राणायाम – ऊर्जा का संतुलन

श्वास-प्रश्वास के माध्यम से प्राणशक्ति को नियंत्रित करना।

  • तनाव कम होता है

  • एकाग्रता बढ़ती है

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है


5. प्रत्याहार – इंद्रियों का नियंत्रण

इंद्रियों को विषयों से हटाकर अंतर्मुखी बनाना।
👉 मानसिक शांति का द्वार।


6. धारणा – एकाग्रता

चित्त को एक बिंदु पर केंद्रित करना।
यह कार्य, अध्ययन और ध्यान में सफलता की कुंजी है।


7. ध्यान – चेतना की गहराई

निरंतर एकाग्रता से उत्पन्न सहज स्थिति।
👉 तनाव, चिंता और अवसाद से मुक्ति।


8. समाधि – आत्मसाक्षात्कार

स्वयं के वास्तविक स्वरूप की अनुभूति।
यही योग का परम लक्ष्य है।


योग एक जीवन शैली क्यों है?

योग हमें सिखाता है:

  • कैसे सोचना है

  • कैसे खाना है

  • कैसे काम करना है

  • कैसे संबंध निभाने हैं

  • कैसे स्वयं से जुड़ना है

योग व्यक्ति को रिएक्ट करने से रिस्पॉन्ड करना सिखाता है।


आज के युग में योग की प्रासंगिकता

समस्यायोग का समाधान
तनावध्यान, प्राणायाम
अनिद्राश्वसन अभ्यास
क्रोधयम-नियम
असंतुलित जीवनयोगिक दिनचर्या
मानसिक अशांतिध्यान व आत्मचिंतन

बच्चों और युवाओं के लिए योग

योग बच्चों में:

  • एकाग्रता

  • आत्मविश्वास

  • भावनात्मक संतुलन

विकसित करता है।
आज के डिजिटल युग में योग मानसिक स्वास्थ्य का सुरक्षा कवच है।


योग और भारतीय संस्कृति

योग केवल स्वास्थ्य पद्धति नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
यह हमें वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः जैसे मूल्यों से जोड़ता है।


निष्कर्ष

योग शरीर को स्वस्थ, मन को शांत और आत्मा को जाग्रत करता है।

योग को यदि केवल आसनों तक सीमित रखा गया, तो हम उसके 90% लाभ से वंचित रह जाएंगे।
सच्चा योग वह है जो चटाई से उठकर जीवन में उतर जाए।


अंतिम विचार

🙏
योग करें—स्वास्थ्य के लिए नहीं, चेतना के लिए।
योग अपनाएं—एक अभ्यास नहीं, जीवन पद्धति के रूप में।



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